Tuesday 23 July 2019

मंजील की राह बुलाती है



अब जाग उठो कमर कसो, मंजील की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया, मेरी आवाज लगाती है।।

है ध्ये हमारा दूर सही, साहस पर क्या कम है
हम राह अनेक साथी है,  चरणों में अंगद का दम है
सोने की लंका राख करे,  वह आग लगानी अती है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

पगपग पर कांटे बिछे हुए,  व्यवहार कुशलता हममें है
विश्वास विजय का अटल लिए,  निष्ठा -कर्मठता  हममें है
विजय पुरखो कि परंपरा,  अनमोल हमारी थाती है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

हम शेर शिवा के अनुरागी, राणा प्रताप की आन करे
केशव माधव का तेज लिए, शत्रु का सर संहार करे
संगठन तंत्र की शक्ति हीं,  वैभव का चित्र सजाति है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

उत्तर में हिमालय  खडा,  दक्षिण में सागर लहरा रहा
भारत भी पिछे अब नहीं किसी से,  चांद पर झंडा फहरा रहा
माटी ही अमूल्य थाती है,  रीत कहानी सुनाती है।।

अब जाग उठो कमर कसो, मंजील की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया, मेरी आवाज लगाती है।।

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