Tuesday 30 July 2019

मौसम


नया जमाना नई ऊमींदे पलपल यू रिझाएगा
कोयल भरती रही किकयारी, अब तो कौआ गाएगा।।


नया बसंत अब नया है सावन
नया नया मौसम अब आएगा।
नई नवेली दुल्हन को देखो
ठंड भी अब शरमाएगा।।

लहंगा चोली अब हुई पुरानी
छोटे कपडा भाएगा।
का गई पाजेब की झनझन
अब झीगुर ही ठोक बजाएगा।।

रोज सडक पर बालाओं को देखो
कौआ भी अब गाएगा।
पपीहा भूलेगी अपनी पिहू - पिहू
हाए!  अब ऐसा मौसम आएगा।।




Wednesday 24 July 2019

पथिक



बिखरी ये शाम,  तन्हाईयो कि रात
मधिम मधिम बरके,  कहे ं जुगनु सारी बात
पेड़ो पे सना हूं,  जाने मैं कहां हूं।।

जिस डाल पे बैठू तो सारा ज़ग मेरा
इस घनघोर संनाटे पर मेरा ही बसेरा
ओस के बूद से सना हूं,  जाने मैं कहां हूं।।

फर फर कर के नाचू,  बजाऐ झिंगुर ढोल
गाऐ पपीहा पिहू पिहू,  वरण मन खोल
कहानी ही सुना  हूं,  जाने मैं कहां हूं।।

झिंगुर के झनझनाहटो में, हवा के सनसनाहटो में
पेड़ो के सरसराहटो में,  पक्षियों के चहचहाटो में
देखु जहां वहां हूं,  पर जाने मैं कहा हूं।।

Tuesday 23 July 2019

मंजील की राह बुलाती है



अब जाग उठो कमर कसो, मंजील की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया, मेरी आवाज लगाती है।।

है ध्ये हमारा दूर सही, साहस पर क्या कम है
हम राह अनेक साथी है,  चरणों में अंगद का दम है
सोने की लंका राख करे,  वह आग लगानी अती है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

पगपग पर कांटे बिछे हुए,  व्यवहार कुशलता हममें है
विश्वास विजय का अटल लिए,  निष्ठा -कर्मठता  हममें है
विजय पुरखो कि परंपरा,  अनमोल हमारी थाती है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

हम शेर शिवा के अनुरागी, राणा प्रताप की आन करे
केशव माधव का तेज लिए, शत्रु का सर संहार करे
संगठन तंत्र की शक्ति हीं,  वैभव का चित्र सजाति है।।
अब जाग उठो कमर कसो....

उत्तर में हिमालय  खडा,  दक्षिण में सागर लहरा रहा
भारत भी पिछे अब नहीं किसी से,  चांद पर झंडा फहरा रहा
माटी ही अमूल्य थाती है,  रीत कहानी सुनाती है।।

अब जाग उठो कमर कसो, मंजील की राह बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया, मेरी आवाज लगाती है।।